दिल्ली-NCR में पेट्रोल-डीजल वाहनों पर संभावित बैन, सुप्रीम कोर्ट ने ई-व्हीकल्स को बताया बेहतर विकल्प

दिल्ली-NCR

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट लगातार चिंता जता रहा है। सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब बाजार में बड़े इलेक्ट्रिक वाहन (EV) आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए समान आकार के आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाया जा सकता है। कोर्ट ने सरकार को इस दिशा में ठोस नीति तैयार करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया। अदालत पहले भी कई बार पेट्रोल-डीजल वाहनों के उपयोग पर सख्ती दिखा चुकी है, खासकर जब दिल्ली-एनसीआर में AQI लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को तेजी से अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाले महंगे लग्जरी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से सड़क से हटाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ गुरुवार को उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार की EV खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने वाली नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की गई है। पीठ ने कहा कि अब बड़े आकार के इलेक्ट्रिक वाहन भी बाजार में उपलब्ध हैं, इसलिए सरकार धीरे-धीरे ऐसे ICE वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकती है। अदालत ने साफ किया कि बढ़ते प्रदूषण के बीच EV को बढ़ावा देना समय की जरूरत है।

ये भी पढ़ें :  आप पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली, बीजेपी को दी जीत की बधाई

कई VIP और बड़ी कंपनियां कर रहीं EV का इस्तेमाल

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ मामलों से जुड़े अनुभवों के आधार पर यह विचार सामने आया है कि अब इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी बड़ी और प्रीमियम श्रेणी की कारें बाजार में उपलब्ध हैं। ये वाहन उतनी ही सुविधाजनक हैं जितनी कि परंपरागत ईंधन पर चलने वाली लग्जरी गाड़ियां, जिनका उपयोग कई VIP और बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता क्योंकि इससे कोई पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है। लेकिन शुरुआत में महंगे वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है। इससे आम आदमी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश की आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही ऐसे वाहनों को खरीदने में सक्षम है।”

ये भी पढ़ें :  मुकेश अंबानी की बढ़ी मुश्किल, 10.9 मिलियन लोगों ने छोड़ा Jio का साथ, जानें वजह

EV नीति की फिर से समीक्षा की जरूरत

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह भी संकेत दिया कि इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति की दोबारा समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है। अदालत ने कहा कि इस नीति को लागू हुए पाँच साल हो चुके हैं, इसलिए मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे पुनः परखा जाना चाहिए। सुनवाई के अंत में अटॉर्नी जनरल ने पीठ को सूचित किया कि अब तक जारी की गई अधिसूचनाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

ये भी पढ़ें :  रायपुर : छत्तीसगढ रजत महोत्सव-2025 : उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने छत्तीसगढ़ के 34 अलंकरण से 37 विभूतियों एवं 4 संस्थाओं को किया सम्मानित

कोर्ट के सुझाव से सरकार सहमत

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से सहमति जताते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के संबंध में अभी भी कई महत्वपूर्ण कार्य बाकी हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के भीतर इस विषय पर कई बैठकों का आयोजन हो चुका है, और अब इसे गहनता से देखा जाना चाहिए। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर विस्तार से विचार करके EV नीति की सम्पूर्ण रूपरेखा तैयार की जाएगी।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment